कोच्चि, अक्टूबर 20
एक अभागे बेटे ने अपने “मृत” पिता को केरल में महामारी के कारण निधन होने के बाद कई दिनों तक भोजन परोसता रहा।
घटना उस राज्य की है जिसे करोना प्रबंधन के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए है।
85 वर्षीय कोरोना के मरीज का शव तिरुवनंतपुरम के एक शवगृह में पांच दिनों तक पड़ा रहा, जबकि उसका बेटा इस बात से अनजान था कि उसके पिता अब नहीं रहे और वह कोल्लम के एक अस्पताल में उनके लिए भोजन और कपड़े ले जाते रहा।
रोगी को पहले 26 अगस्त को पुनालुर के तालुक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, और बाद में उसे कोरोना का पता चलने के बाद तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। तालुक अस्पताल में 15 दिनों के बाद उनका परीक्षण किया गया।
बेटा कोल्लम में कूली का काम करता है। पुनालुर अस्पताल उसे बताया कि उसके पिता को पारिपल्ली अस्पताल स्थानांतरित कर दिया गया है। बेटा इस धारणा में था कि उसके पिता को पारिपल्ली के सरकारी अस्पताल में है जबकि उन्हें तिरुवनंतपुरम भेज दिया गया था जहां 13 अक्टूबर को उसकी मृत्यु हो गई थी।
अपने पिता की मृत्यु का पता नहीं चलने के कारण बेटा रोज भोजन और कपड़े अस्पताल ले जा रहा था जिसे वह के कर्मचारी स्वीकार कर रहे थे। वास्तव में अस्पताल में एक और कोरोना रोगी के पास कपड़े और भोजन जा रहे थे जो उनके पिता के हमनाम थे ।
पांच दिनों के बाद जब रोगी को वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था और आगंतुकों से मिलने की अनुमति दी गई थी तब उस बेटा तो पता चला की वह किसी और रोगी की सेवा कर रहा था। बेटे को बाद में पता चला कि उसके पिता का शव तिरुवनंतपुरम के सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में रखा है ।
बेटा अब अस्पताल प्रशासन के खिलाफ शिकायत करने जा रहा है। इस घटना ने केरल में कोरोना महामारी के प्रबंधन को लेकर किये गए तैयारी की पोल खोल दी है। राज्य ने कोरोना महामारी के प्रबंधन को लेकर खूब वाहवाही लूटी थी और कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किये।
भारी लापरवाही सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि वे इस मामले की जांच करवाएंगे।