क्या महाराष्ट्र सरकार भी आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की आरोपी है ?

बस कंडक्टर मनोज चौधरी और सुसाइड नोट

क्या रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र सरकार, ताजा प्रकाश में आई आत्महत्या के दो मामलों के तहत कार्रवाई का सामना करेगी ?

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एम एस आर टी सी या एस टी ) के दो कर्मचारियों ने महज 12 घंटे के भीतर आत्महत्या कर ली। उनमें से एक ने अपने सुसाइड नोट में, राज्य सड़क परिवहन निगम और उद्धव ठाकरे सरकार को उसके वेतन की बकाया राशि का भुगतान न करने, वेतन में कमी और अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है जिसकी वजह से उसे अपने जीवन को समाप्त करने का इतना बड़ा निर्णय उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जलगांव सड़क परिवहन निगम के बस कंडक्टर मनोज चौधरी ने आज सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में, उन्होंने पिछले कई महीनों से वेतन और भुगतान में कमी के लिए राज्य सड़क परिवहन निगम और ठाकरे सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

चौधरी के शोक संतप्त भाई ने दावा किया कि सड़क परिवहन विभाग द्वारा उनके वेतन में कटौती के चलते उनके भाई पर बढ़ते वित्तीय दबाव ने उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया । “सड़क परिवहन विभाग और ठाकरे सरकार कर्मचारियों के वेतन में कटौती के लिए जिम्मेदार हैं, जिनकी वजह से मेरे भाई को अपनी जान देनी पड़ी, पिछले तीन महीनों से उन्हें कम वेतन मिल रहा था, “मनोज चौधरी के भाई ने पीड़ा भरे स्वर में मीडिया को बताया।

इससे पहले कल रत्नागिरी डिवीजन के एक अन्य सड़क परिवहन विभाग कर्मचारी पांडरंग गद्दे ने आत्महत्या कर ली थी। उसका रूममेट पी ए गाँडले जब 4 बजे कमरे में आया तब दरवाजा न खुलता देख वह उसे तोड़ कर कमरे में घुसा और वहाँ उसके मृत शरीर को छत से लटका पाया। आशंका जताई जा रही है कि पिछले 4 महीनों से वेतन का भुगतान न होना गद्दे की आत्महत्या का कारण हो सकता है।

दो कर्मचारियों के अपने जीवन को समाप्त करने की दुखद घटनाओं ने महाराष्ट्र में वर्तमान स्थिति को गरमा दिया। राज्य सरकार ने रायगढ़ में आत्महत्या के मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया जो हमेशा ही ठाकरे सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं ।

महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ यह मामला और अधिक मजबूत हो जाता है जब आज दीवाली से पहले कर्मचारियों को दो महीने का वेतन देने की घोषणा की गई। “उन्हें उदास होने और आत्महत्या जैसे बड़े कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है, आर्थिक स्थिति खराब जरूर है, लेकिन हम अंततः एक रास्ता खोज लेंगे” महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री ने कहा।

सरकार द्वारा की गई ये घोषणा और बयान इशारा करते हैं कि राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि लंबित वेतन के कारण दोनों कर्मचारियों ने आत्महत्या की है।

कानूनी बिरादरी के लिए ये बहस का विषय है कि एक व्यक्ति जो आत्महत्या कर चुका है, उसकी मृत्यु के बाद उसकी आत्महत्या के प्रमुख कारण का निपटारा किया जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में क्या कोई आईपीसी की धारा 306 से बच सकता है ?

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