क्यों अलग है ममता बनर्जी का बुद्धदेव भट्टाचार्जी का रिकॉर्ड तोड़ना!

जीत के बाद कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुआ ममता बनर्जी

न्यूज़ रिवेटिंग

कोलकाता, ३ अक्टूबर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उम्मीदवार ममता बनर्जी ने उपचुनावों में रिकॉर्ड बनाया है; भवानीपुर में रिकॉर्ड अंतर से जीतकर और पहली मुख्यमंत्री जो चुनाव हारने के बाद पद संभाला।

ममता की जीत का अंतर 58,832 है जो 2011 के उनके 54,213 के अंतर को पार कर गया। इससे पहले, राउंड 21 की मतगणना के अंत में वह 58,389 मतों से आगे हो गयी और 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्जी के 58,128 वोटों के जीत के अंतर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। भट्टाचार्जी ने जादवपुर से चुनाव लड़ा था।

ममता ने एक और रिकॉर्ड भी बनाया।  वह राज्य की पहली मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने चुनाव हरने के बावजूद पद की शपथ ली जबकि उनकी पार्टी ने मई 2021 के राज्य चुनावों में बहुमत हासिल किया। वह नंदीग्राम में भाजपा के सुवेंदु अधिकारी से चुनाव हार गईं।

संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, ममता को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के छह महीने के भीतर राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होना था। समय सीमा 5 नवंबर को समाप्त हो रही थी।

नंदीग्राम में कड़वे अनुभव का स्वाद चखने के बाद मुख्यमंत्री हालांकि भबनीपुर में सतर्क थी। चुनाव अभियान के दौरान, जैसा कि राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा, वह रक्षात्मक शैली में थी और अपने मुख्यमंत्री पद को बनाए रखने के लिए वोट मांगे।

2016 में ममता की जीत का अंतर लगभग 25,000 था। नंदीग्राम में शर्मनाक हार की भरपाई के लिए टीएमसी प्रबंधकों ने यह सुनिश्चित करने की रणनीति तैयार की थी कि वह रिकॉर्ड अंतर के साथ सीट बरकरार रखें। 2016 के चुनावों की तुलना में उपचुनावों में 13 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में कम था। फिर भी, भट्टाचार्जी और बनर्जी के रिकॉर्ड के बीच का अंतर बहुत कम रहा है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि दोनों चुनाव परिणामों की तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि जब भट्टाचार्जी ने चुनाव लड़ा था तब जनादेश अनिश्चित था और किसकी सरकार बनना तय नहीं था।  जबकि ममता ने उपचुनाव लड़ा है और मतदाताओं को मालूम है कि वह साढ़े चार साल तक पद पर बने रहेगी।

सभी प्रकार के दांव और मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होने के बावजूद मई 2021 के चुनावों की तुलना में टीएमसी अपने वोटों में लगभग 12,000 की वृद्धि ही कर पाई । पांच महीने पहले हुए चुनाव में 61.79 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 30 सितंबर को हुए उपचुनाव में 57 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था जिससे सिद्ध होता है मुख्यमंत्री को लेकर मतदाताओं में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं था। 

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