भाजपा समर्थको को ममता बनर्जी की खुली चुनौती, केंद्रीय सुरक्षा बलों की वापसी का इंतज़ार

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा का समर्थन कर रहे लोगो और कार्यकर्ताओ को खुली चुनौती देते हुआ कहा की केंद्रीय सुरक्षा बलों की वापसी की बाद उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अर्ध-सैन्य बलों के सुरक्षाकर्मियों को राज्य में तैनात किया गया था। चुनाव आयोग राज्य को अत्यधिक संवेदनशील मानता है जिसे ममता बनर्जी अपने कृत्यों से प्रमाणित कर रही है। चुनाव के पूर्व भाजपा नेताओ पर हमला और उनके समर्थको को निशाना बनाना उदहारण है।

भगवा दल ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और ममता बनर्जी के लिए सत्ता बरकरार रखने की एक बड़ी चुनौती सामने है। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के कार्य और आचरण में हताशा देखी जा रही है।

ममता ने अब नया अस्त्र फेंका है और सीधे भाजपा कार्यकर्ताओं और उनका समर्थन कर रहे लोगो को सीधे चेतावनी देते हुए कहा कि वह केंद्रीय सुरक्षा बलों चुनावों के बाद राज्य से चली जाएगी और उस समय भाजपा कार्यकर्ताओ के लिए नयी समस्या पैदा होगी। “मैं चुनावों के हर इंच का ज्ञान रखती हूं। चुनाव के बाद, केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए सुरक्षा कर्मी वापस चले जाएंगे, लेकिन अगर हमारी सरकार बनी तो भाजपा समर्थक कुछ और दिनों के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने के लिए हाथ जोड़कर विनती करेंगे ताकि वे (भाजपा समर्थक) ) को बचाया जा सके, ” नंदीग्राम में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा।

वह नंदीग्राम से वह चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा ने उनके खिलाफ उनके पुराने विश्वासपात्र सुवेंदु अधिकारी को खड़ा किया है। अधिकारी की कड़ी चुनौती का सामना करते हुए, टीएमसी नेताओं ने दबाव बनाए रखने की कोशिश में पोल ​​पैनल के साथ भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ नियमित शिकायत दर्ज करा रहे है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 27 मार्च को पहले चरण का मतदान हो चुकी है और 1 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होना है। इसके लिए मंगलवार को चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है। इस चरण के चुनाव के लिए सबसे हॉट सीट बन चुकी नंदीग्राम पर दो दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला है और भाजपा-तृणमूल कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस सीट पर 1 अप्रैल को मतदान की प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी जिसपर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।

नंदीग्राम सीट इसलिए चर्चा में आई क्योंकि इस सीट के लिए टीएमसी की तरफ से पार्टी सुप्रीमो और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपनी किस्मत आजमा रही हैं तो वहीं ममता बनर्जी के कभी खास रहे शुभेंदु अधिकारी उनके खिलाफ चुनावी ताल ठोंककर ममता को खुली चुनौती दी है। शुवेंदु ने चुनाव से पहले ममता का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन पकड़ लिया था।

शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की चेतावनी दी थी. शुभेंदु ने कहा था कि अगर दीदी यहां से चुनाव लड़ेंगी तो 50,000 से अधिक वोटों से हार जाएंगी। ऐसे में ममता बनर्जी ने चुनौती को स्वीकार किया और नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ रण में कूद पड़ीं।

शुभेंदु पूर्वी मिदनापुर से ताल्लुक रखते हैं और कहते हैं कि अधिकारी परिवार का आसपास की 40-45 सीटों पर गहरा प्रभाव है। नंदीग्राम से पहले तो विधायक, फिर दो बार सांसद और फिर राज्य सरकार में मंत्री बनने वाले शुभेंदु अधिकारी एक समय में ममता बनर्जी के बेहद करीबी माने जाते थे शुभेंदु अधिकारी को कुछ समय पहले तक शायद ही कोई बंगाल के बाहर जानता था लेकिन भाजपा का दामन थामने व ममता के खिलाफ बागी होने के बाद अचानक पूरे देश में शुभेंदु अधिकारी के नाम से लोग वाकिफ हो गए।

तृणमूल कांग्रेस को बंगाल की सत्ता में लाने में शुभेंदु अधिकारी का अहम योगदान है क्योंकि नंदीग्राम आंदोलन के वे सूत्रधार है। बता दें कि नंदीग्राम आंदोलन वही आंदोलन है जिसके बलबूते ममता बनर्जी ने टीएमसी को खड़ा किया जो सत्ता में आई और वे बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं।

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