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कोलकाता, अप्रैल 19
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नए दांव से लगता है भाजपा राज्य में चुनावी समर में बाकि दलों से काफी आगे निकल गयी है।
जिस प्रकार से ममता की रैलियों को जनता नकार रही है, उन्हे भी आभास हो रहा है कि अब उनके हाथ से सत्ता जल्द जाने वाली है। ऐसे में उन्होंने एक अंतिम दांव चलते हुए अपनी रैलियाँ रद्द या स्थगित करने का फैसला लिया है।
तृणमूल के चर्चित प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने हाल ही में ट्वीट किया, “ममता बनर्जी अब कोलकाता में रैलियाँ नहीं करेंगी। केवल 26 अप्रैल को एक अंतिम प्रतीकात्मक रैली होगी। इसके अलावा सभी जगहों पर जो भी रैलियाँ होंगी, वो केवल आधे घंटे की होगी” ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी ने भी बंगाल में चुनावी सभा नहीं करने की घोषणा की। चुनावी के अंतिम दौर में इस तरह की घोषणा ने शायद यह सिद्ध कर दिया कि तृणमूल, कांग्रेस और वाम पंथी दलों ने मान लिया कि बंगाल में उनकी हार सुनिचित है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि असल कारण तो कुछ और ही है। ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी रैलियाँ इसलिए रद्द की हैं क्योंकि वह हारने के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगी। ममता बनर्जी को कहीं न कहीं इस बात का आभास हो रहा है कि उन्हें अब किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं मिलने वाला। अनुसूचित जातियों और जनजातियों में सत्ताधारी तृणमूल काँग्रेस के प्रति रोष दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और ममता का भाजपा के विरुद्ध व्हीलचेयर वाला ड्रामा भी बुरी तरह फ्लॉप हुआ है।
इसलिए अब ममता बनर्जी कोविड की आड़ में अपने आप को बचाना चाहती है, ताकि आखिर में मोदी सरकार और भाजपा विलेन साबित हो सके। अभी हाल ही में उन्होंने ‘हाथ जोड़ते’ हुए चुनाव आयोग से बाकी तीन चुनावी चरणों को एक ही चुनावी चरण में समाहित करने की मांग की। हालांकि जिस प्रकार से वह नरेंद्र मोदी को कोविड के लिए जिम्मेदार ठहराने में जुटी हुई हैं, उससे उनके अपनी बातों पर कायम रहने की उम्मीद तो कम ही दिखाई दे रही है।
अपनी रैलियाँ रद्द करने से ज्यादा ममता को भाजपा के रैलियो के चिंता है। इसलिए घोषणा कर वह दबाव बनाना चाहती है ताकि भाजपा भी रैली रद्द करने की घोषणा कर दे।
यदि ममता बनर्जी लोगो के स्वास्थ्य को लेकर इतनी चिंतित थी तो व्हील चेयर में संघर्ष करते हुए प्रचार नहीं करती। आखिर वह भी एक रहस्य है , एक माह गुजर जाने के बाद भी एक मुख्यमंत्री के पैर का चोट ठीक नहीं हो पाया है।
दूसरी बात, यदि ममता वाकई में संवेदनशील है तो कम से कम चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यानि अप्रैल 26 को रैली नहीं करती क्यूंकि यदि कोरोना का संक्रमण आज है तो आने वाले एक हफ्ते में कोई चमत्कारिक परिवर्तन नहीं होने वाला है।