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रायपुर, दिसंबर २९
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मन की बात कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में आयोजित बस्तर ओलंपिक का विस्तार से जिक्र किया।
बस्तर ओलंपिक 2024, बस्तर संभाग के युवाओं को खेलों के ज़रिए समाज और विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आयोजित किया गया था। इस आयोजन का मकसद, यहां के युवाओं की खेल प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें खिलाड़ी के रूप में तैयार करना था। बस्तर ओलंपिक 2024 का आयोजन 5 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच किया गया था।
मन की बात की 117वीं कड़ी में प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री ने कहा: “साथियो, अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है। क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है। मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है। आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है। बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’। इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है। इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’ यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’।”
मोदी ने कहा पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है। एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है”।
सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है। Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है”। सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है। एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है। कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth Icon’ चुना गया है। उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है।
मोदी ने कहा: “साथियो, बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है। जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ : अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें #खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है। तो खूब खेलिए-खूब खिलिए।”