न्यूज़ रिवेटिंग
नई दिल्ली, नवंबर २३
कांग्रेस फिर से ‘किताब’ को लेकर घिर गई है और इस बार मनीष तिवारी की की पुस्तक से मचा बवाल जिसमे उन्होंने मुंबई हमले के दौरान तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार का आलोचना की है।
तिवारी ने लिखा है कि 26/11 हमले के बाद भारत की पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करना कमजोरी की निशानी थी। गौरतलब है कि तिवारी की किताब ’10 Flash Points, 20 Years’ में तिवारी ने पिछले 20 वर्षों के दौरान भारत ने जिन प्रमुख राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना किया है, उसके बारे में जिक्र है।
गौतलब है कि 26 नवंबर 2008 की शाम पाकिस्तान के 10 आतंकी भारत में घुस आए थे। आतंकियों ने अलग-अलग जगह जाकर गोलियां बरसाई थीं। 26 नवंबर की रात 9 बजकर 43 मिनट पर शुरू हुआ आतंका का तांडव 29 नवंबर की सुबह 7 बजे खत्म हुआ था जिसमे 166 लोग मारे गए थे। 9 आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराया गया था वही एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था, जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई। मुंबई हमलों में मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान शहीद हुए थे.
तिवारी ने किताब में लिखा है कि अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों की हत्या का कोई अफसोस नहीं है तो संयम ताकत की नहीं बल्कि कमजोरी की निशानी है। किताब में उन्होंने मुंबई हमले की तुलना 9/11 से किया है। उन्होंने लिखा है कि भारत को इस घटना पर मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।
इस बीच, बीजेपी ने तिवारी की किताब को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस किताब से यह साबित हो गया है कि यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा दिया था और उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर भारत की अखंडता को लेकर कोई चिंता नहीं थी। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सारा देश कांग्रेस सरकार की इस सच्चाई को जानता था।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बजाय उस समय की कांग्रेस सरकार बीजेपी के खिलाफ राजनीति करते हुए हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को साबित करने में जुटी हुई थी।
इससे पहले सलमान खुर्शीद की किताब में ‘हिंदुत्व’ को लेकर कही बात पर बवाल मचा और कांग्रेस बचाव में नज़र आई। खुर्शीद ने ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ किताब लिखी है, जिसको लेकर विवाद हो रहा है क्यूंकि उन्होंने किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हरम से कर डाली।
मनीष तिवारी की पुस्तक को लेकर कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है क्यूंकि पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य चुनाव पर जा रहे है जिसमे राष्ट्रवाद महत्पूर्ण मुद्दा रहेगा।