भारत सरकार और न्यू डेवलपमेंट बैंक के बीच आज 100 करोड़ डॉलर कर्ज के लिए समझौता हुआ है। इस राशि का इस्तेमाल ग्रामीण आधारभूत संरचनाओं में निवेश के लिए किया जाएगा। जो कि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए चलाए जा रहे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत इस्तेमाल होगी। इन कदमों से कोविड-19 से भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से उबरने में भी मदद मिलेगी।
कोविड-19 के दौरान महामारी के प्रसार को रोकने के लिए देश में सख्ती से लॉकडाउन लागू किया गया था। इसके अलावा राज्यों ने भी एहतियातन दूसरे सख्त कदम उठाए गए थे। इसकी वजह से देश में लोगों की आवाजाही पर भी रोक लग गई थी। इसका असर यह हुआ भारत में मांग और आपूर्ति भी बाधित हुई। इस वजह से आर्थिक गतिविधियां भी सुस्त हो गईं। इसका असर बेरोजगारी बढ़ने के साथ-साथ लोगों की आय पर भी नकारात्मक रूप में हुआ। खास तौर से असंगठित और ग्रामीण क्षेत्र के लोग ज्यादा प्रभावित हुए।
आज के समझौते से सरकार को कोविड-19 महामारी से हुए आर्थिक असर से उबरने में सहयोग मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रिकवरी भी तेजी से होगी।
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में सहयोग करेगा
इसके अलावा नए रोजगार के सृजन से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी। इससे कोविड-19 से आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट से मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी।
इस कार्यक्रम के तहत एनआरएम से जुड़े टिकाऊ ग्रामीण आधारभूत संसाधनों का भी विकास होगा। साथ ही गरीब तबके के लिए रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे। खास तौर से उन प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे जो कि कोविड-19 महामारी की वजह से अपनी कमाई का जरिया शहरों में खो चुके हैं और अपने गांव वापस आ गए हैं।
.समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के डिपॉर्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के संयुक्त सचिव श्री बलदेव पुरूषार्थ और एनडीबी की ओर से चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर और वाइस प्रेसिडेंट श्री जियॉन झू ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर श्री पुरूषार्थ ने कहा कि इस कार्यक्रम से ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों के जीवनयापन में सुधार होगा। इसके अलावा कोविड-19 की वजह से नौकरी गंवाने के बाद , शहर से अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को भी रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके अलावा श्री पुरूषार्थ ने कहा एनडीबी ने उचित समय पर सरकार का साथ दिया है। उनके सहयोग से कोविड-19 की वजह से जो आर्थिक स्थिति बिगड़ी हैं, उनसे उबरने में मदद मिलेगी और ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ने से रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे।
श्री जियॉन झू ने कहा यह कार्यक्रम भारत सरकार को कोविड-19 की वजह से हुए आर्थिक असर से उबरने में मदद करेगा। साथ ही एनआरएम के जरिए ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रिकवरी होगी और रोजगार के अवसर बनेंगे। एनडीबी की फंडिंग के तहत कोविड-19 से उबरने के लिए फॉस्ट ट्रैक नीति बेहद कारगर होगी और उससे ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय के साधन सुरक्षित होंगे और टिकाऊ ग्रामीण आधारभूत संरचनाएं विकसित करने में मदद मिलेगी। जिसका असर यह होगा कि मांग बढ़ेगी और आर्थिक रिकवरी में तेजी आएगी।
एनडीबी का गठन, 15 जुलाई 2014 को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की सरकारों के मध्य हुए समझौते के तहत किया गया है। इस बैंक के गठन का उद्देश्य ब्रिक्स और दूसरे उभरते बजार , विकासशील देशों के संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना है। जिसके जरिए आधारभूत संरचनाओं का विकास और दूसरे विकासपरक प्रोजेक्ट के लिए संसाधन जुटाया जा सके । एनडीबी ने 100 करोड़ डॉलर का कर्ज 30 साल के लिए दिया है, जिसमें 5 साल का ग्रेस पीरियड भी शामिल है।