भारत की रक्षा पंक्ति में एक नए सिपाही का आगाज़ हुआ है,नई पीढ़ी की एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम का ओडिशा तट से दूर व्हीलर द्वीप पर पर आज सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
मिसाइल को सुखोई 30 एम के आई लड़ाकू विमान से लॉन्च किया गया। रुद्रम, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी आर डी ओ) द्वारा भारतीय वायु सेना के लिए विकसित की गई देश की पहली स्वदेशी विकिरण-रोधी मिसाइल है।
इस मिसाइल को सुखोई -30 एमकेआई लड़ाकू विमान पर लॉन्च प्लेटफॉर्म के रूप में एकीकृत किया गया है, जिसे स्थितियों के आधार पर अलग-अलग तरह से लॉन्च किया जा सकता है।रुद्रम में लक्ष्य पर सटीक मार करने के लिए पैसिव होमिंग हेड के साथ आईएनएस-जीपीएस नेविगेशन लगा हुआ है जिससे ये अपने निशाने को बड़ी सटीकता से नष्ट कर सकता है।
पैसिव होमिंग हेड एक ऐसा प्रोग्राम है जो एक विस्तृत क्षेत्र में अपने लक्ष्य को ढूंढ कर उन्हें वर्गीकृत कर उन्हें नष्ट कर सकता है। यह मिसाइल वायुसेना के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित होगा जो एक बड़े वायु क्षेत्र में शत्रु से हमारी रक्षा करेगा।
इस परीक्षण के सफल होने के साथ ही भारत ने दुश्मन के रडार, संचार साइटों और अन्य आरएफ उत्सर्जक लक्ष्यों को बेअसर करने के लिए लंबी दूरी की हवा में लॉन्च की जा सकने वाली विकिरण-रोधी मिसाइल विकसित करने में सफलता पा ली है।
यह पिछले 20 दिनों में भारत द्वारा किया गया छठवां मिसाइल परीक्षण है। 23 सितंबर को, भारत ने अर्जुन टैंक से एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया, जिसके बाद भारत की परमाणु क्षमता में वृद्धि करते हुए पृथ्वी -2 मिसाइल का परीक्षण-किया गया जो परमाणु हमला करने में सक्षम है।
30 सितंबर को, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित-रेंज वाले संस्करण का परीक्षण किया। मिसाइल के पुराने संस्करण में 290 किमी तक मार कर सकने की सीमा थी,पर नए विस्तारित-रेंज संस्करण से 400 किमी से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मारा जा सकता है।
अक्टूबर की शुरुआत में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा हाइपरसोनिक परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल के-15 का परीक्षण किया गया। यह मिसाइल,भारत की पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का संस्करण है, जो लगभग 750 किमी की दूरी पर सटीकता के साथ दुश्मन का खात्मा कर सकती है।
5 अक्टूबर को, भारत ने टॉरपीडो की सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया, एक ऐसी प्रणाली जिसका इस्तेमाल करके दुश्मन की पनडुब्बियों को टारपीडो की रेंज से आगे जा के नष्ट किया जा सकता है।