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नई दिल्ली, नवंबर 26
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना ही है।
उन्होंने कहा कि देश का विभाजन कभी ना मिटने वाली वेदना है और विभाजन को निरस्त करके ही इस पीड़ा को मिटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दोबारा देश का विभाजन नहीं होगा।
कृष्णा नंद सागर की किताब ‘भारत के विभाजन के साक्षी’ का विमोचन करते हुए भागवत ने यह भी कहा कि भारत की पारंपरिक विचारधारा का सार सबको साथ लेकर चलना है, खुद को सही और दूसरों को गलत मानना नहीं।
भागवत ने कहा कि इसके विपरीत, इस्लामी आक्रांताओं की सोच यह थी कि वे खुद को सही और दूसरों को गलत मानते थे। अतीत में संघर्ष का मुख्य कारण यही था। अंग्रेजों की भी यही सोच थी, उन्होंने 1857 के विद्रोह के बाद हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच अलगाव को बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि लेकिन यह 1947 का नहीं बल्कि 2021 का भारत है। विभाजन एक बार हो गया, वह दोबारा नहीं होगा। जो इसके उलट सोच रखते हैं वे खुद बर्बाद हो जाएंगे। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना ही है।
भागवत ने कहा कि खून की नदियां ना बहें इसलिए ये प्रस्ताव स्वीकार किया गया और नहीं करते तो उससे कई गुना खून उस समय बहा और आज तक बह रहा है। उन्होंने कहा कि एक बात तो साफ है विभाजन का उपाय कोई उपाय नहीं था। ना उससे भारत सुखी है और ना इस्लाम के नाम पर विभाजन की मांग करने वाले लोग सुखी हैं।