टीम समाचार रिवेटिंग
ब्रिटिश नौकरशाहों के बीच सबसे लोकप्रिय रही हावड़ा-कालका मेल अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर जानी जाएगी जिन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने मजबूर कर दिया था।
रेल मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि ट्रेन नंबर 12311/12312 हावड़ा-कालका मेल का नाम “नेताजी एक्सप्रेस” होगा। यह उल्लेखनीय है कि हावड़ा-कालका मेल एक बहुत लोकप्रिय और भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी ट्रेनों में से एक है, जो दिल्ली होते हुए हावड़ा (पूर्वी रेलवे) और कालका (उत्तर रेलवे) के बीच चलती है।
नेताजी की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय रेल ने यह घोषणा की है । रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, “नेताजी के ‘पराक्रम ‘ (वीरता) ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर डाल दिया। मैं ‘नेताजी एक्सप्रेस’ की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं।”
सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रवादी थे जिनकी साहसिक देशभक्ति ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक नायक बना दिया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना को पुनर्जीवित किया और ब्रिटिश सरकार को उखाड़ फेकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेताजी और उनकी सेना से अंग्रेज भयभीत हो गए थे और परिणामस्वरूप वे भारत छोड़ने और देश को आज़ाद करने के लिए मजबूर हो गए।
देश से अंग्रेजो को बाहर करने वाले नेताजी अब उस ट्रेन में “सवार” होंगे जो एक समय ब्रिटिश नौकरशाहों के बीच सबसे लोकप्रिय थी और उनके शान शौकत का प्रतिक मानी जाती थी। ब्रिटिश वायसराय सहित उस समय के अंग्रेज प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ब्रिटिश हावड़ा-मुंबई कालका मेल की सवारी करते थे।
कालका मेल 1866 में नंबर 1 अप और 2 डाउन के नाम से कलकत्ता और दिल्ली के प्रारंभ हुई। इसका संचालन कालका मेल ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी ने “ईस्ट इंडियन रेलवे मेल” के रूप में शुरू किया था। बाद में इसे 1891 में कालका तक विस्तारित किया गया।
कालका मेल प्रमुख रूप से ब्रिटिश शासन से शीर्ष अधिकारियो को गर्मियों की शुरुआत में कोलकाता से शिमला पहुंचने का कार्य करती थी और ग्रीष्म अवधि के बाद वापस मुख्यालय। पूरी सरकारी मशीनरी इस ट्रेन का उपयोग करती थी
दोनों स्टेशनों, हावड़ा के साथ-साथ कालका में, प्लेटफार्म के साथ आंतरिक कैरिजवे बने थे ताकि वायसराय और अन्य उच्च श्रेणी के अधिकारी अपने रेल डिब्बों तक ड्राइव कर सकें।