आर कृष्णा दास
रायपुर, दिसंबर 21
छत्तीसगढ़ के कथित असहयोग के कारण राजस्थान में बिजली संकट गहरा सकता है, जिसका असर आने वाले समय में पंजाब और उत्तर प्रदेश में पड़ेगा क्योंकि दोनों राज्य राजस्थान से बिजली लेते है।
अगर राजस्थान में कोल संकट आएगा तो 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप होने की आशंका बन जाएगी। राजस्थान में छत्तीसगढ़ से कोल की सप्लाई होती है। छत्तीसगढ़ परसा कोल माइन चालू होने पर संशय बना हुआ है। इसका असर आगामी पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर दिखेगा। इसे चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है।
ज्ञात हो कि जुलाई में राजस्थान ने अपनी मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब को बिजली आपूर्ति बंद कर दी थी।
उत्तर प्रदेश की तुलना में पंजाब में बिजली संकट ज्यादा गंभीर है जहा कांग्रेस सत्ता पर है। जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अभी कांग्रेस की सरकार है। इसके बाद भी कोल को लेकर दोनों में विवाद गहराता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को कथित रूप से दुविधा में डाल दिया है। दोनों राज्यों में कांग्रेस का शासन है, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थित एक कोयला खदान ने राजस्थान को विद्रोह करने के लिए मजबूर कर दिया है।
राजस्थान सरकार के उपक्रम राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा कोयला खदान आवंटित किया गया है। खदान की क्षमता 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है, जबकि आरआरवीयूएनएल पास ही में 15 एमटीपीए की एक और खदान संचालित करता है।
दिलचस्प बात यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मार्च में परसा कोयला खदान की स्थापना के लिए सहमति दे दी है, लेकिन दूसरे चरण की पर्यावरण मंजूरी और संचालन की अनुमति देने के लिए सहमति नहीं दे रही है। यहां तक कि कोयला नियंत्रक ने भी खदान खोलने की अनुमति दे दी है।
इस मुद्दे पर बात करने के लिए छत्तीसगढ़ के अधिकारियों से संपर्क नहीं किया जा सका।
हालांकि गहलोत ने अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का दरवाजा खटखटाया है और हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। सोनिया गांधी को लिखे पत्र में गहलोत ने कहा है कि बार-बार अनुरोध के बाद भी छत्तीसगढ़ ने राजस्थान सरकार को आवंटित कोयला ब्लॉकों में खनन की मंजूरी नहीं दी है।
गहलोत ने सोनिया से कहा कि यदि और देरी हुई तो राज्य में 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो सकता है। कोयले की अनुपलब्धता के कारण, राजस्थान सरकार को राज्य में बिजली की कीमत 33 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे यह देश के सबसे महंगे बिजली विक्रेताओं में से एक बन गया।