अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने कहा है कि उनका कोराना टीका तीसरे चरण के ट्रायल के अंतिम विश्लेषण में 95 फीसदी प्रभावी पाया गया है।
इसके साथ ही कंपनी के लिए अगले कुछ ही दिनों में फाइनल अप्रूवल के लिए अमेरिकी नियामकों के पास आवेदन देने का रास्ता साफ हो गया है।
अमेरिकी दवा कंपनी और इसके पार्टनर बायोएनटेक एसई ने कहा है कि उनकी वैक्सीन ने सभी उम्र और वर्ग के लोगों को कोरोना से बचाया है और अभी तक कोई गंभीर सुरक्षा समस्या नहीं आई। ट्रायल में करीब 44 हजार लोगों को टीका लगाया गया है।
पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस को लेकर उम्मीद जगाने वाली कई खबरें सामने आई हैं। मॉडर्ना इंक ने भी 94.5 पर्सेंट प्रभावी टीके का दावा किया है तो इससे रूसी स्पूतनिक वी ने भी अपने टीके को 92 फीसदी असरकारक बताया है। आने वाले दिनों में एस्ट्राजेनका पीएलसी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से भी ट्रायल के आंकड़े सामने रखे जाएंगे।
फाइजर-बायोएनटेक डेटा के मुताबिक, ट्रायल में शामिल 170 लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए। वैक्सीन लगाने के बाद कुल 8 लोग बीमार पड़े, जबकि प्लासीबो के बाद 162 लोगों को कुछ शिकायतें हुईं। वैक्सीन ने के डोज ने बीमारी को गंभीर होने से भी रोका, एनालिसिस के मुताबिक सामने आए 10 गंभीर केस प्लासीबो ग्रुप से थे। कंपनी की ओर से बताया गया है कि टीका 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में भी 94 फीसदी से अधिक प्रभावी है। अधिकतर लोगों ने जिन्हें यह टीका लगाया गया उन्होंने इसे आराम से सहन किया। दूसरे डोज के बाद 3.7 पर्सेंट लोगों में अधिक थकान दिखा।
फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मोडेरना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का टीका मिल सकता है। इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है। जानकारों का कहना है कि फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए अनुपयुक्त होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है।