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नई दिल्ली, अप्रैल 5
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ग्यारह (11) कंपनियों/फर्मों के खिलाफ अंतिम आदेश जारी कर दिया है, जिन्हें प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 3(1) के साथ लागू होने योग्य धारायें 3(3)(ए), 3(3)(बी), 3(3)(सी), और 3(3)(डी) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। उल्लेखनीय है कि अधिनियम प्रतिस्पर्धा-निरोधी समझौतों पर प्रतिबंध लगाता है। उत्तर-पश्चिम रेलवे की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
सीसीआई ने पाया कि इन कंपनियों/फर्मों ने भारतीय रेल को हाई पर्फारमेंस पॉलीमाइड बुशेज़ (एचपीपीए) और सेल्फ लुब्रिकेटिंग पॉलियस्टर रेज़िन बुशेज़ (एसएलपीआर) की आपूर्ति करने के लिये गिरोहबंदी की। इन कंपनियों ने सीधे या परोक्ष रूप से कीमतों को प्रभावित किया, संविदायें प्राप्त कीं, आपूर्ति और बाजार पर नियंत्रण किया, बोली में कीमतें मिलकर लगाईं और पूरी बोली प्रक्रिया को तोड़ा-मरोड़ा।
इस मामले में जो सबूत मिले हैं, उनमें पक्षों के बीच ई-मेल और व्हॉट्स-ऐप के जरिये बातचीत, कुछ पक्षकारों द्वारा समान/एक सी कीमतें लगाना, कुछ पक्षकारों द्वारा एक ही आईपी एड्रेस से बोली लगाना आदि शामिल है। सीसीआई के समक्ष इन 11 कंपनियों में से कम जुर्माने वाली चार कंपनियां थीं। अधिनियम की धारा 46 के तहत गिरोहबंदी का कोई सदस्य आयोग के पास जाकर कम जुर्माना लगाने का प्रार्थना-पत्र दे सकता है। इसके एवज में उसे आयोग के समक्ष कथित गिरोहबंदी के बारे में पूरी, सच्ची और महत्त्वपूर्ण जानकारी देनी होती है।
इसके अलावा, इन 11 कंपनियों के 14 व्यक्तियों को सीसीआई ने उनकी कंपनियों/फर्मों के गैर-प्रतिस्पर्धी आचरण के लिये जिम्मेदार ठहराया है, जो अधिनियम की धारा 48 के प्रावधानों के अनुसार है।
सीसीआई ने कंपनियों/फर्मों और उनसे सम्बंधित दोषी व्यक्तियों पर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिये औसत कारोबार/आय के मद्देनजर पांच प्रतिशत की दर से जुर्माना लगाया है। अधिनियम की धारा 46 के प्रावधानों के अनुसार जुर्माने में कटौती का आधार इस प्रकार हैः पहले कम जुर्माने वाले दोषी आवेदक और उससे सम्बंधित व्यक्तियों पर 80 प्रतिशत, दूसरे कम जुर्माने वाले आवेदक और उससे सम्बंधित व्यक्तियों पर 40 प्रतिशत, तीसरे कम जुर्माने वाले आवेदक और उससे सम्बंधित व्यक्तियों पर 30 प्रतिशत, और चौथे कम जुर्माने वाले आवेदक और उससे सम्बंधित व्यक्तियों पर 20 प्रतिशत। सीसीआई ने पक्षकारों को कुल 1.16 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि वे अपना कारोबार बंद रखेंगे।