भारतीय रेलवे ने अगले पांच वर्षों में लगभग 2700 डीजल इंजनों को ट्रेक से हटाने की योजना बना ली है।
डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन के परिचालन में होने वाले कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने के उद्देश्य ये निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही रेल्वे की ब्रॉड गेज लाइनों में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का काम भी तेजी से पूरा हो करा है।
रेलवे ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अगले पांच वर्षों में 2,695 डीजल इंजनों को परिचालन से बाहर करने के संबंध में एक विस्तृत कार्य योजना भेजी है। हालांकि रेल मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है की ऐसे डीजल इंजनों की संख्या इससे कही अधिक हो सकती है।
इस चरणबद्ध योजना के अनुसार, 2020-21 में कुल 950 डीज़ल लोको इंजन बंद हो जाएंगे, इसके बाद 2021-22 में 360 ,2022-23 में 365 और 2023-24 में 505 इंजन बंद होंगे। शेष को बाद के दो वर्षों में ट्रेक से हटा लिया जाएगा।
वर्तमान में, लगभग 5000 डीजल लोको और समान संख्या में इलेक्ट्रिकल लोको भी रेल्वे के बेड़े में हैं। रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य ट्रेन संचालन के लिए लगभग 10,000 इलेक्ट्रिक लोको को ट्रेक में उतारना और डीजल लोको को ट्रेक से हटाना है।
रेलवे पूर्ण विद्युतीकरण की ओर बढ़ रही है और इसके दिसंबर 2022 तक लक्ष्य प्राप्त करने की उम्मीद है क्योंकि केवल 2500 किमी लंबे ट्रैक का विद्युतीकरण किया जाना बाकी रह गया है।
अधिकारियों के अनुसार, रेल्वे सिस्टम से डीजल लोको पूरी तरह से नहीं हटाया जा सकता क्योंकि यह रणनीतिक और आपातकालीन सेवाओं के लिए आवश्यक होते हैं।
डीज़ल लोको ज्यादातर नॉर्थ फ्रंटियर और नॉर्थ वेस्टर्न ज़ोन में चलन में है।