न्यूज़ रिवेटिंग
रायपुर, मई १९
शालीमार से चलकर मुंबई LTT जाने वाली 18030 शालीमार एक्सप्रेस आज रायपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमे करीब तीन यात्री घायल हो गए।
दुर्घटना उरकुरा स्टेशन के पास करीब १० बजे हुई जब ट्रैक के पास लगाया गया एक खम्बा चलती ट्रैन पर गिर गया। रेलवे जाँच में पता चलेगा पोल कैसे उखड़ कर ट्रेन पर ही गिर गया। रेलवे इस गंभीर लापरवाही से बच नहीं सकता। हालांकि एक बड़ी दुर्घटना जरूर टल गई।
ट्रेन लगभग सवा दस बजे रायपुर के प्लेटफार्म नंबर १ में पहुंची। न्यूज़ रिवेटिंग के संवादाता उस समय प्लेटफार्म पर थे और उन्होंने आँखों देखी बताई। ट्रेन के पहुंचने के बाद प्लेटफार्म पर कोई हलचल नहीं थी जबकि तीन लोग कोच के अंदर थे और उनकी स्थिति गंभीर थी।
लगभग २५ मिनट बाद, पुलिस कर्मियों से घिरे कुछ लोग एक व्यक्ति को उठा कर गेट नंबर १ की तरफ आए और सीधे बाहर ले गए। उस समय कोई एम्बुलेंस स्पॉट पर नहीं था। एक मेडिकल टीम थी जो वहीं पर घायल व्यक्ति का प्राथमिक उपचार देना शुरू कर दिया। पास में दूसरा घायल बैठा था जो सफ़ेद कपडे से अपना हाथ बांधे रखा था। उसके हाथ से लगातार खून नीचे टपक रहा था।
भरी धुप में दोनों व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही थी जो रेलवे अंदर भी कर सकता था। एक यात्री के साथ एक महिला भी थी। उस समय तक स्पॉट पर कोई बड़ा अधिकारी नहीं पंहुचा था। थोड़ी देर बाद एम्बुलेंस पहुंची।
तब तक वहां एक वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और उपस्थित स्टेशन के अधिकारियों पर व्यवस्था को लेकर काफी नाराज़गी व्यक्त की। उन्होंने वहीं पर अधिकारियों को लताड़ा और टिप्पणी की कि स्टेशन में कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा वे संबंधित अधिकारियों से बाद में निपटेंगे। उस अधिकारी की बात से स्पष्ट हो गया कि स्टेशन में रेलवे की आपात चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं थी जबकि चलती ट्रेन से ही उन्हें खबर दे दी गई थी।
ट्रेन के एक रनिंग स्टाफ ने बताया घटना किलोमीटर 823/16A के पास हुई जब रेलवे का इलेक्ट्रिक पोल ट्रैन पर गिर गया। ट्रेन चलती रही और टुटा हुआ पोल रगड़ते हुए अन्य बोगियों को को चपेट में लेते गया। कई कोच की खिड़की टूट कर अंदर आ गई वही दरवाजे का हैंडल भी टूट गया।
खिड़की के पास बैठे दो यात्रियों के हाथ पर गंभीर चोट आई। सहयात्रियों का कहने है उनका हाथ कलाई से अलग हो गया था। यात्रियों का कहना है घटना से सूचना रनिंग स्टाफ को तुरंत दे दी गई थी क्यूंकि दोनों दर्द से कराह रहे थे।
रेलवे की अव्यवस्था बोले या लापरवाही, दोनों गंभीर घायलों को पहला इंजेक्शन लगा ट्रेन के पहुंचने के आधे घंटे बाद और वह भी स्टेशन के बाहर जमीन में बैठा कर। रेलवे का स्ट्रेचर को पहुंचने में लगभग ४० मिनट लग गए। पूरा प्राथमिक इलाज़ गेट नंबर १ के बाहर धूप में जमीन पर चलता रहा।
एक अन्य मासूम को फिर उठा कर लाया गया और बाहर बैठा दिया गए। वह AC कोच में यात्रा कर रहे थे और कांच का टुकड़ा आंख पर लग गया।
एक सहयात्री से प्राप्त टूटे हुए खिड़की का वीडियो