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चेन्नई, 9 मार्च
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी सात लोगों में से एक एजी पेरारिवलन को जमानत दे दी। वह पिछले 32 साल से जेल में है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह 32 साल से कैद में है। अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उसके आचरण, उसके खराब स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त सबूत पेश किये है। अदालत ने कहा, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसने 30 साल से अधिक समय जेल में बिताया है, हमारा विचार है कि उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।”
सहायक सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज के कड़े विरोध दर्ज कराया।
अदालत ने यह भी कहा कि जमानत निचली अदालत की शर्तों के अधीन होगी और वह हर महीने की पहली तारीख को सीबीआई अधिकारी को रिपोर्ट करेगा। पेरारिवलन को फिलहाल स्थानीय थाने में रिपोर्ट करने को कहा गया है। वह फिलहाल पैरोल पर है और तीन बार पहले भी पैरोल पर आ चुका है।
राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी पहचान धनु के रूप में हुई थी। राजीव गाँधी चुनाव प्रचार के लिए गए थे। घटना में स्वयं धनु सहित चौदह अन्य भी मारे गए थे।
राजीव गांधी की हत्या शायद देश में आत्मघाती बम विस्फोट का पहला मामला था जिसने एक हाई-प्रोफाइल नेता को निशाना बनाया गया था।
पेरारिवलन 19 साल के थे जब उन्हें राजीव गांधी की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन पर नौ वोल्ट की दो बैटरियों की आपूर्ति करने का आरोप लगाया गया था जो अंततः पूर्व प्रधान मंत्री को मारने वाले बेल्ट बम में इस्तेमाल की गईं थी।
निचली अदालत ने मामले में 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। मई 1999 में, सर्वोच्च न्यायालय ने 19 व्यक्तियों को बरी कर दिया और केवल सात को दोषी ठहराया। सात में से नलिनी, मुरुगन, संथान और पेरारिवलन को मौत की सजा दी गई, जबकि अन्य तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया जिसमें पेरारिवलन भी शामिल था।