आर कृष्णा दास
इसे एक विडंबना ही कहा जा सकता है कि एक व्यक्ति जो गांजा पीता है और उसका चित्र दुनिया को साझा करता है तथा नग्नता के लिए इंस्टाग्राम पर प्रतिबंधित हो वह भारत की समृद्ध संस्कृति और छवि को वैश्विक स्तर पर “नुकसान” पहुंचा सकता है!
यह आशंका एक ऐसे व्यक्ति ने उठाई है जिनका भारतीय की तुलना में पश्चिमी संस्कृति के प्रति अधिक लगाव है। कांग्रेस के संसद सदस्य ने कुछ देश भक्त बॉलीवुड और क्रिकेट सितारों द्वारा वैश्विक हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन को लेकर किए गए टिप्पणी पर किये कटाक्ष और भारत सरकार के समर्थन में दिया बयान से विचलित हो गए।
भारत ने विवादास्पद पॉपस्टार रिहाना और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग सहित वैश्विक हस्तियों को किसान आंदोलन के समर्थन में दिए गए बयानों के लिए आड़े हाथो लिया है। कई बॉलीवुड और क्रिकेट सितारों के साथ-साथ शीर्ष मंत्रियों ने भी सरकार के समर्थन में बात कही है।
“नग्नता” और अपरिपक्व बयानों के लिए वैश्विक स्तर पर जाने जानी वाली इन हस्तिया पर भारतीयों द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया कांग्रेस सांसद अच्छा नहीं लगा। उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि सरकार के “अशिष्टता और अलोकतांत्रिक व्यवहार” से भारत की वैश्विक छवि को जो नुकसान हुआ है, उसे क्रिकेटर के ट्वीट द्वारा हल नहीं किया जा सकता है।
किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाली वैश्विक हस्तियों का समर्थन करने वाले कांग्रेस सांसद या किसी और व्यक्ति को यह समझ लेना चाहिए कि भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को उन चंद लोगों के द्वारा वैश्विक स्तर पर धूमिल नहीं किया जा सकता है जो खुद विवादों में घिरे रहते है। सोशल मीडिया पर सिर्फ कुछ मिलियन फॉलोअर्स होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
रिहाना एक दशक से भी अधिक समय से सुर्खियों में है, अपने विवादित प्रेम प्रसंगो के कारण या उत्तेजना और नग्न दृश्यों को साझा करने के लिए। इंस्टाग्राम ने उनके चित्र को निकाल दिया वही एक मस्जिद ने उन्हें बाहर कर दिया जब वह परिसत में विवादित कपड़ो के साथ चित्र ले रही थी।
अगर रिहाना के बारे में कही गयी बात सत्य है तो गांजा पीना उनके लिए नया नहीं है और सोशल मीडिया में उसका चित्र और वीडियो साझा करने में कोई संकोच नहीं है। एक चिमनी के सामने बैठी खुद की नग्न तस्वीर पोस्ट करने के लिए इंस्टाग्राम ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया। सच्चे दिलकश अंदाज में, इस पॉपस्टार ने अपनी हरकते नहीं छोड़ी और अपने चित्र ट्विटर में डालने लगी ताकि इंस्टाग्राम के अधिकारियों को झटका दे सके।
वही १८-वर्षीय स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग भी विवादों के लिए भी सुर्खियां में है । न केवल डोनाल्ड ट्रम्प ने , नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित इस कार्यकर्ता के बारे में कई प्रमुख जलवायु कार्यकर्ताओ ने भी टिप्पणी की और उनकी हरकतों को “बचकाना” और “अपरिपक्व” कहा।
भारत में ये दो विवादास्पद कार्यकर्ताओं विवाद पैदा कर रहे है और देश के कुछ लोग और मीडिया का एक वर्ग उनका सहयोग कर रहा है। उनके ध्यान में यह बात आनी चाहिए: अपने अनप्लगेटिव एल्बम के विमोचन के बाद, रिहाना ने एक प्रेस टूर का आयोजन किया जिसमे प्रमुख पत्रकारों को आमंत्रित किया गया। लेकिन दुख की बात है कि उसे वह कवरेज नहीं मिला जिसकी उसने कल्पना की थी।