रूस क्यों चाहता है नाटो सचमुच यूक्रेन की मदद करे!

यूक्रेन में रुसी झंडा लगा टैंक

आर कृष्णा दास

यूक्रेन इस बात का रोना रो रहा है कि रूस द्वारा देश के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू करने के बाद नाटो ने उसे धोखा दिया। लेकिन यूक्रेन के साथ साथ “आक्रमणकारी” व्लादिमीर पुतिन भी उत्सुक हैं कि नाटो बलों को यूक्रेन की मदद के लिए आना चाहिए।

अगर विदेशी मामलों के विशेषज्ञों की माने तो पुतिन के दिमाग में एक बड़ी वैश्विक योजना है जब उन्होंने गुरुवार को शुरू हुए यूक्रेन पर अपनी सेना को आक्रमण करने का आदेश दिया। अगर उनकी रणनीति सही होती है, तो दुनिया एक वैश्विक युद्ध की ओर बढ़ जाएगा।

पुतिन को यूक्रेन की जरूरत नहीं है और यह बात वह बार-बार कर रहा है जब से रूसी सेना ने यूक्रेन में प्रवेश किया है। रूसी राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह यूक्रेन नहीं चाहते हैं। “वह चाहता है कि वे सभी देश खड़े हों और उसका मुक़ाबला करे जिससे विश्व युद्ध (परमाणु युद्ध) की स्थिति हो; कुछ यही उत्तर कोरिया और चीन भी चाहता हैं,” राजनयिकों में से एक ने कहा।

नाटो और पश्चिम चुप हैं क्योंकि वे जानते हैं कि पुतिन यही चाहते हैं। नाटो के पास कार्यवाही नहीं करने के कारण हैं, इसके देश रूस के खिलाफ युद्ध में तब तक शामिल नहीं हो सकता जब तक कि किसी सदस्य राष्ट्र पर हमला नहीं किया जाता।

पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय निंदा और प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है और अन्य देशों को चेतावनी दी है कि हस्तक्षेप करने का परिणाम घातक होगा ।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा के लिए पश्चिम और नाटो ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। शुक्रवार को रूसी आक्रमण के दूसरे दिन देश को एक भावनात्मक संदेश में उन्होंने कहा कि उन्होंने 27 देशों से संपर्क किया था, लेकिन किसी ने आगे आने और यूक्रेन की मदद करने की हिम्मत नहीं की।

दूसरे देशों की अपनी मजबूरी है। उनके द्वारा लिया गया कोई भी कदम निश्चित रूप से एक वैश्विक परमाणु युद्ध की स्थिति निर्मित करेगा जो अधिक विनाशकारी होगा।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोपीय महाद्वीप पर शायद सबसे बड़े संकट में रूस और पश्चिम यूक्रेन आमने-सामने हैं, वही दुनिया की दो सबसे बड़ी उभरती शक्तियां, भारत और चीन जानबूझकर कर तटस्थ बने हुए हैं।

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