बंगाल में “कमल” खिलाने वाले शिवप्रकाश छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी

शिवप्रकाश

आर कृष्णा दास

रायपुर, दिसंबर 31

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साल 2020 के आखिरी दिन गुरुवार को नयी संगठनात्मक नियुक्तियां करते हुए पार्टी के तीन नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी है।

इसके तहत सौदान सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। सौदान सिंह का केंद्र चंडीगढ़ रहेगा और वे हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ राज्यों में भाजपा संगठन के साथ समन्वय करेंगे.

वहीं, वी सतीश दिल्ली के लिए संगठक बनाए गये है। वी सतीश पर संसदीय कार्यालय, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मोर्चे के समन्वय के अलावा विशेष संपर्क की जिम्मेदारी रहेगी।

इसके साथ ही राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का भी अहम प्रभार सौंपा गया है।

इनमे सबसे महत्पूर्ण बदलाव छत्तीसगढ़ का रहा क्यूंकि सौदान सिंह बहुत लम्बे समय से प्रदेश के प्रभारी थे।

यदि शिवप्रकाश की नियुक्ति के मायने समझा जाये तो कहा जा सकता है भाजपा ने छत्तीसगढ़ में चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। शिवप्रकाश की चुनावी रणनीति , कार्यशैली और आम कार्यकर्ताओ के साथ उनका जुड़ाव ने सभी बड़े भाजपा नेताओ को प्रभावित किया है।

शिवप्रकाश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हैं और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के क्षेत्र प्रचारक का दायित्व संभाला। उन्हें संघ ने 2014 में बीजेपी में भेज दिया था। फिर बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल, यूपी और उत्तराखंड का संगठन प्रभारी बनाया। यूपी और उत्तराखंड में शिवप्रकाश ने बीजेपी के लिए शानदार काम किया और इन दोनों राज्यों में बीजेपी को विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला।

इसे देखते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें बंगाल पर फोकस करने को कहा। इसके बाद शिवप्रकाश पार्टी को बंगाल में मजबूत करने की दिशा में काम करने में जुट गए। पिछले एक साल में उन्होंने बंगाल में एक हजार से ज्यादा बैठकें की। राज्य में अपना आधार मजबूत करने के लिए भाजपा ने अलग-अलग वर्गों (नमो शूद्र, कीर्तनिया, राजवंशी, गोरखा और आदिवासी) के दल बनाए और शिवप्रकाश ने इनके साथ सीधे बैठकें की। उन्होंने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया और चुनाव से पहले सभी सीटों पर दो-दो दिन बिताए।

कार्यकर्ताओं से जुड़ सकें इसलिए नहीं ली सुरक्षा

इस पूरे चुनावी प्रचार में बंगाल में सबसे ज्यादा हिंसा की खबरें सामने आईं। यहां चुनाव प्रचार से लेकर मतदान होने के दिन तक टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प हुईं। कई जगहों पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता भिड़े. लेकिन राज्य में इतनी हिंसा होने के बावजूद शिवप्रकाश ने खुद के लिए कोई सुरक्षा नहीं ली। उनके इस फैसले से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा। साथ ही वो खुद को भी कार्यकर्ताओं से और बेहतर ढंग से जोड़ पाए। बीजेपी के बड़े नेता कार्यकर्ताओं से जुड़ने के लिए उनके घरों तक पहुंचे।

शिवप्रकाश के साथ इस मुहिम में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय भी पूरी तरह जुटे. जिसका फायदा भाजपा को बंगाल में मिला।

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