श्रीलंका में तमिल भाषा पर चीनी खतरा

चीन के राजदूत के साथ पट्टिका का अनावरण करते अटॉर्नी जनरल डाप्पुला डी लिवरा

न्यूज़ रिवेटिंग

पड़ोसी देश श्रीलंका में अपना प्रभाव बनाने चीन बेताब दिख रहा है और तमिल भाषा को निशाना बना रहा है जिसका सम्बन्ध सीधी भारत से है।

विडंबना यह है कि मंदारिन — चीन की आधिकारिक भाषा — में संदेश धीरे धीरे श्रीलंका में तमिल भाषा की जगह ले रही है जिसने सोशल मीडिया में व्यापक विरोध चल रहा है।

हाल ही में, चीनी सहयोग से बने स्मार्ट लाइब्रेरी ऑफ अटॉर्नी जनरल (एजी) विभाग की पट्टिका से श्रीलंका की राष्ट्रीय भाषा होने के बावजूद तमिल में उल्लेख गायब था। इसके बजाय, पट्टिका में मंदारिन भाषा का सन्देश था। केंद्र का उद्घाटन अटॉर्नी जनरल डाप्पुला डी लिवरा ने पट्टिका का अनावरण किया था जिसमे आलेख सिंहली, अंग्रेजी और चीनी भाषा में लिखा गया था। चीन के राजदूत भी इस अवसर पर मौजूद थे।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तीखी आलोचना का सामना करने के बाद एजी कार्यालय ने पट्टिका को हटा दिया। हालांकि कार्यालय ने स्थानीय मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया।

तमिल प्रगतिशील गठबंधन के नेता और विपक्ष के सांसद मनो गणेशन ने एक ट्वीट में कहा, चीनी “भाषा कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि तमिल शब्दों को शामिल न करना राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन है।

इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए, राज्य के राष्ट्रीय विरासत, प्रदर्शन कला और ग्रामीण कला संवर्धन मंत्री विदुर विक्रमनायका ने कहा कि पट्टिका में तमिल को छोड़ना श्रीलंका में आधिकारिक भाषा नीति का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘एक देश के तौर पर हमें ऐसी चीजें नहीं होने देना चाहिए। हम सह-अस्तित्व की बात करते हैं। इस संबंध में जांच की जानी है। यह भाषा नीति पूरे देश में समान रूप से लागू होनी चाहिए।”

पिछले हफ्ते, तमिल नेशनल एलायंस (TNA) के बट्टिकलोआ सांसद शनकियान रसमनिकम ने ट्विटर पर चीन समर्थित कोलंबो पोर्ट सिटी में आने वाले ‘सेंट्रल पार्क’ के साइन बोर्ड की एक तस्वीर साझा की, जिसमें सिंहली, अंग्रेजी और मंदारिन में लिखा था। उन्होंने तंज कस्ते हुए कहा : “तमिल पाठ गायब है, यह ठीक है! जल्द ही सिंहल भी गायब हो जाएगा। आशा है कि श्रीलंकाई कम से कम अब तो जागेंगे।”

चीनी सरकार तय करती है कि श्रीलंका में नाम बोर्डों पर क्या होता है। यह वास्तव में इंगित करता है कि स्थिति पर श्रीलंका सरकार का कितना कम नियंत्रण है, उन्होंने ट्वीट किया। रासमणिकम ने पोर्ट सिटी को नियंत्रित करने वाले हाल ही में पारित कानून का भी कड़ा विरोध किया और कहा कि देश “ची-लंका” बन रहा है।

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