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नई दिल्ली, दिसंबर 7
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 7 दिसंबर को वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को दी गई डिफॉल्ट जमानत पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।
भीमा कोरेगांव मामले में सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी के लगभग तीन साल बाद 1 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें डिफॉल्ट जमानत दी थी जिसके खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। बेंच ने एनआईए की दलीलों में कोई दम नहीं पाया और अपील को खारिज कर दिया।
सुधा भारद्वाज अब बुधवार, 8 दिसंबर को मुंबई में विशेष एनआईए कोर्ट के सामने पेश होंगी, जैसा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निर्देशित किया था। एनआईए की कोर्ट संबंधित जमानत शर्तों को निर्धारित करने के बाद उन्हें डिफॉल्ट जमानत पर रिहा करेगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में आठ अन्य आरोपियों द्वारा दायर इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
हाई कोर्ट ने माना था कि नवंबर 2018 में सुधा भारद्वाज के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुणे पुलिस (जो शुरू में भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रहे थे) को अतिरिक्त समय देने के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं था। नतीजतन सुधा भारद्वाज सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत डिफॉल्ट जमानत की हकदार थीं।