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नई दिल्ली, मई 25
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में आईपीसी की 121 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
यूएपीए की धारा 18 में यासीन मलिक को 10 साल की सजा मिली है। यासीन मलिक की सभी सजा एक साथ चलेंगी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी।
उधर श्रीनगर के मैसूमा में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। यासीन मलिक के समर्थक सुरक्षाबलों पर पथराव कर रहे हैं। श्रीनगर में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
यासीन मलिक पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और कश्मीर में शांति को भंग करने, टेरर फंडिंग में शामिल होने के आरोप है।
उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) के तहत अपराधी है।
वर्तमान मामला विभिन्न आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्बुल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) से संबंधित है। इसने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को बिगाड़ने के लिए आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दिया।