बंगाली अस्मिता की बात करने वाली ममता ने प्रणब दा को राष्ट्रपति बनाने से रोका था

बंगाल के गौरव प्रणब मुखर्जी

आर कृष्णा दास

“बंगाली अस्मिता” को मुख्य मुद्दा बनाकर पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में संपन्न हुए राज्य चुनावों में भाजपा को भले ही कड़ी शिकस्त देने में सफल हो गयी हो लेकिन वह यह भूल गईं बंगाल के गौरव प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाने से उन्होंने रोका था।

जुलाई 2012 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले थे और प्रणब मुखर्जी, जो उस समय कांग्रेस पार्टी में काफी उच्च स्थान पर थे, का नाम पार्टी उम्मीदवार के रूप में तेजी से उभरा। दशकों तक फैले अपने लंबे राजनीतिक अनुभव के दौरान पार्टी और राष्ट्र के लिए उनका महत्पूर्ण योगदान था।

प्रणब दा, जैसा कि उन्हें प्यार से पुकारा जाता था, इंदिरा गांधी से लेकर डॉ मनमोहन सिंह के शासन के दौरान कई मौकों पर सरकार के संकट मोचन के रूप में उभरे थे। उनकी राजनीतिक समझ और सटीक रणनीति को कांग्रेस पार्टी और सरकार के अलावा राजनीतिक गलियारे में भी माना जाता था।

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता स्वर्गीय एम एल फोतेदार ने अपनी आत्मकथा द चिनार लीव्स में उल्लेख किया है कि एक दृष्टिकोण यह भी था कि 2014 में 16 वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने थे और त्रिशंकु संसद की संभावना बताई जा रही थी। उस परिस्थितियों में सरकार के गठन में राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही थी। “प्रणब मुखर्जी, अपने विशाल राजनीतिक अनुभव और राष्ट्रीय मुद्दों की समझ के साथ उस परिदृश्य के लिए आदर्श विकल्प के रूप में माने जा रहे थे,” फोतेदार ने बताया।

कांग्रेस के बड़े नेता संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सहयोगी दलों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू की। फोतेदार ने लिखा, “तृणमूल कांग्रेस के साथ चर्चा के दौरान, ममता बनर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और वर्तमान प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के नामों का प्रस्ताव देकर गुगली फेंकी।” उन्हें तुरंत मुलायम सिंह यादव का समर्थन मिला।

ममता बनर्जी ने प्रणब दा की उम्मीदवारी का तीव्र विरोध किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी अड़ गए और ममता बनर्जी को स्पष्ट कह दिया कि यदि तृणमूल कांग्रेस को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन सरकार में बने रहना है तो प्रणब मुख़र्जी का समर्थन करना होगा नहीं तो सरकार और यूपीए छोड़ना होगा। कांग्रेस के नेताओ ने उनकी यह दलील भी खारिज कर दी की तृणमूल कांग्रेस मतदान में भाग नहीं लेगी या अनुपस्थित रहेगी।

तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता दिनेश त्रिवेदी ने एक और तथ्य का खुलासा किया। ममता बनर्जी को आभास हो गया था प्रणब दा को समर्थन देने के मामले में तृणमूल सांसदों का एक समूह विद्रोह करने वाले है।

प्रणब दा को समर्थन की घोषणा करते हुए ममता बनर्जी काफी विचलित और निराश दिखी। अपने निर्णय को उन्होंने राजनीतिक मजबूरियों बताया और एक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर कहा, “इस फैसले से वास्तव में दुख हुआ। मन उदास है। हालांकि, हमने निर्णय लोकतंत्र के बड़े हित में लिया है।”

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