भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर: मेरा संस्मरण

लव कुमार मिश्र

कर्पूरी ठाकुर जी मेरा पहला साक्षात्कार १९६९ में छाजूबाग स्थित लाला लाजपत राय मेमोरियल हाल में हुआ। विद्यार्थियों के लिए प्रकाशित मासिक पत्रिका किशोर भारती ने अखिल बिहार अंतर-विद्यालीय बाद विवाद प्रतियोगिता का अयोजन किया था। छात्रों को राजनीति में भाग लेना चाहिए विषय पर।

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश सतीश चंद्र मिश्र समारोह के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सह शिक्षा मंत्री, कर्पूरी ठाकुर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने ही पुरस्कार दिया था विजेता छात्रों को। १९६७ में संयुक्त विधायक दल सरकार में शिक्षा मंत्री ने मैट्रिक परीक्षा परिणाम में पास विदाउट इंग्लिश श्रेणी लागू किया।

जेपी आंदोलन में सक्रिय नेतृत्व किया और विधायक से इस्तीफा दिया। आपात काल में भूमिगत हुए और जब जेपी की आपातकाल ख़त्म होने पर पहली विशाल जन सभा गांधी मैदान में हुई,प् रगट हुए। उनके खिलाफ मीसा का वारंट निर्गत था। एग्जिबिशन रोड में जेपी के साथ लौटी भीड़ में पैदल ही निकल पड़े और कदम कुआं में महिला चरखा समिति में ही ओवरग्राउंड हुए।

१९७७ लोक सभा चुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए बाद में विधान सभा चुनाव के नतीजों के आधार पर उन्हे मुख्य मंत्री बनाया गया। जनसंघ के श्री कैलाशपति मिश्र उप मुख्यमंत्री बने। नेता घोषित होने के बाद वे अभी के तारा मंडल के सामने मंडिरी जाने वाली नाले के बाएं साइड समाजवादी नेता प्रणव चैटर्जी के यहां लकड़ी की कुर्सी पर बैठे थे।

मैने सर्चलाइट के लिए इंटरव्यू लिया। डीआईजी श्री बद्री नारायण सिन्हा भी उन्हें सैल्यूट किए और शपथ ग्रहण के बारे में बात की। फिर कलेक्टर वी एस दुबे और एसएसपी गोपाल अचारी आए। मुख्यमंत्री ने लोक सभा की सदस्यता त्याग दी। फुलपरास से विधान सभा के लिए चुने गए। वहां से निर्गाचित युवा सदस्य देवेन्द्र प्रसाद यादव को विधान परिषद में जगह दी गई।

मुख्यमंत्री के रूप में मुंगेरी लाल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया और पहली बार २६ पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यस्था की।
उन्होंने बिहार में चीनी मिलों का राष्ट्रीय करण किया। कैबिनेट मीटिंग के पूर्व संध्या सर्चलाईट ऑफिस आते है और संपादक से मिल कर पहले निर्णय की सूचना देते हैं,संपादकीय लेख का अनुरोध भी।

बाद मे संपादक को तीन महीना का चेक देकर विदा किया गया क्योंकि चीनी मिल के मालिक और अखबार के मालिक एक थे। मुख्यमंत्री जी एक बार देर रात अपने आवास पहुंचे। उन्होंने देखा उनके चाहने वाले उनके बेड पर भी सो रहे हैं, मुख्यमंत्री,जमीन पर कंबल लेकर सो गए।


बिहार के गृह मंत्री रामानंद तिवारी के सचिव रहे ब्रह्मदेव राम ने एक घटना का जिक्र किया — मुख्य मंत्री ने एक आयाश्यक फाइल लेकर उन्हें बुलाया। जब वे पहुंचे सीएम के कक्ष में जाने के लिए, सभी जगह श्री ठाकुर के लोग ही कब्जा जमाया था। सीएम साहेब उन्ही लोगो के बीच एक चौकी पर कंबल लपेट कर बैठे थे,अगली सुबह उन्हे दिल्ली जाना था।

मुख्य मंत्री कभी भी किसी अधिकारी को डाट फटकार नही लगाते थे। अपने एंबेसडर में पिछली सीट पर ही दो तीन ऑफिसर को बिठा कर चर्चा कर लेते थे,कोई सुरक्षा का ताम खाम नही होता था।

जस की टस धर दिन्ही चादरिय वालीं कहावत उन पर लागू होती हैं

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और वर्त्तमान में पटना, बिहार, में निवासरत है)

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